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नेता जी सुभाष चंद बोस के जयंती पर जन जागरूकता व्याख्यान कार्यकम आयोजित किया गया


आन लाइन बैठक कर उनके जीवन से प्रेरणा लेनी की बात कही

लखनऊ  प्रगति विचारधारा फाउंडेशन के तत्वाधान में नेता जी सुभाष चंद बोस के जयंती पर जन जागरूकता व्याख्यान कार्यकम आयोजित किया गया जिंसमे संस्था के प्रमुख सदस्यों ने आनलाइन जुड़कर उनके जीवन से प्रेरणा लेनी की बात कही

सभा की अध्यक्षता डॉ सीमा गुप्ता समीक्षा अधिकारी उत्तर प्रदेश ,मुख्य अतिथि नेहा खरे अध्यक्ष एव संचालनं प्रसिद्ध लेखिका ,डॉ ऋचा आर्य ने किया 
इस मौके पर सन्दीप श्रीवास्तव ने कहा कि नेता जी ने सदैव ही देश को मजबूत आत्मनिर्भर बनाने के लिए अंतिम समय तक लड़ते रहे वही प्रगति शुक्ला ने कहा कि हम सभी युबायो को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए उनके बलिदान को हम भुला नहीं सकते
वही सीमा गुप्ता ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नेता जी भारत के  स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।
वही डॉ ऋचा आर्य ने कहा कि नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इंफाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया।
21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आज़ाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशो की सरकारों ने मान्यता दी थी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया।

1944 को आज़ाद हिंद फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। अंत मेे कार्यक्रम की आयोजक नेहा नीरज खरे ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्वतंत्रता अभियान के एक महान क्रांतिकारियों में इनका नाम लिया जाता है, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना का निर्माण किया था जो विशेषता आजाद हिंद फौज के नाम से प्रसिद्ध थी सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद को बहुत मानते थे सुभाष चंद्र बोस का पूरा नाम सुभाष चंद्र जानकीनाथ बोस था उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था।उनके पिता ने अंगरेजों के दमनचक्र के विरोध में ‘रायबहादुर’ की उपाधि लौटा दी। इससे सुभाष के मन में अंगरेजों के प्रति कटुता ने घर कर लिया। अब सुभाष अंगरेजों को भारत से खदेड़ने व भारत को स्वतंत्र कराने का आत्मसंकल्प ले, चल पड़े राष्ट्रकर्म की राह पर चले

इस मौके पर सीमा  गुप्ता, नेहा खरे,सन्दीप श्रीवास्तव ,प्रगति शुक्ला, दिब्या शुक्ला ,डॉ ऋचा आर्य आदि उपस्थित रहे

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