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सोशल मीडिया पर जमकर बायरल हो रहे आशी दीक्षित के बुंदेली गीत


मधुर आवाज की धनी के लाखों हुए दीवाने 

बुन्देली गीत भारत के साथ साथ 10 देशों में किये जा रहे पसन्द

सन्दीप श्रीवास्तव की कलम से

झाँसी आज के दौर में युवा पीढ़ी  विदेशी शैली को अपना कर अपने आप को अलग दिखाने की होड़ में लगी हुई है और अपनी वैदिक प्राचीन संस्कृति को भूलती जा रही है जिससे आगे आने वाली पीढ़ियों अपनी पुराने रीति रिवाज गीत संगीत बुंदेलखंड के परंपरागत गीत को भूल जाएगी एवं युबा पीढ़ी संस्कार विहीन होकर अपने पथ से भटक रही हैं लेकिन बुंदेलखंड एक होनहार विटिया जो अपने रीति रिवाज ओर बुन्देली पारंपरिक एवं लोक संगीत को अपने जीवन मे उतार कर आगे बढ़ रही है इसके साथ साथ बड़े बड़े मंचो पर पहुँच करे बुंदेलखंड खण्ड का नाम रोशन कर रही है 

मूल रूप से पन्ना मध्यप्रदेश प्रदेश की निवासी कु आशी दीक्षित के  बुंदेलखण्डी संगीत को सुन कर आज युबा पीढ़ी भी इनसे वहुत प्रेरित हो रही है इनको बहुत पसंद करने लगी है  आशी  ने बी.कॉम,बी.एड, संगीत में प्रभाकर (गायन) की शिक्षा तो ग्रहण की ही है साथ साथ कई तरह के सामजिक कार्यो में बढ़ चढ़ कर भागी दारी भी करती है
उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए मेरे संगीत गुरु धन लक्ष्मी शर्मा ने प्रेरणा दी जिनके आशीर्वाद से में इस मुकाम तक पहुँच पाई
आशी दीक्षित ने दैनिक सत्ता सुधार के संबाददाता सन्दीप श्रीवास्तव को बताय की  बुन्देली पारंपरिक एवं लोक गीत गीत गाने  की रुचि बचपन से ही थी  आज कई बड़े बड़े मंचो पर बुंदेली गीत गा कर विलुप्त हो रही लोक गायन की संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास कर रही हु आशी ने बताया कि गरीव वच्चो को सनातन धर्म के संस्कार भी दें रही हु वही पिता अरुण दीक्षित हरमोनियम ओर भाई विशाल दीक्षित भी तवला पर संगत देकर मेरा मनोबल बढ़ाते रहते है उन्होंने बताया कि कुछ पौराणिक भजन जो मेरी दादी रामप्यारी गुनगुनाती थी उन्हीं के भजनों को नए तरीके से गाकर यूट्यूब फेसबुक के माध्यम से जनता को सुनाने का प्रयास कर रही हूं जिनको देश के सहित  विदेशों में भी पसंद किया जा रहा है और कमेंट के माध्यम से मनोबल बढ़ाने का काम किया जा रहा है आज हमें अपने बुंदेली संस्कृति पर  नाज़ है 

इसके अलाबा में
बच्चों को संस्कार, सदाचरण की शिक्षा एवं  ट्यूशन भी देती हूं 
एवं अपने  ब्राह्मण समाज के लिए समर्पित हु
विलुप्त हुए बुन्देली पारंपरिक गीत को पुनर्जीवित किया

मेरामूल उद्देश्य.बुन्देली संस्कृति को जीवंत रखना हैं जिससे 
सम्पूर्ण विश्व को भारतीय संस्कृति से अवगत हो सके इसके अलाबा मेने कोरोना काल में जहाँ लोगों के मन में डर, परेशानी आरही थी तो मैंने बुन्देली पारंपरिक गीत गा कर सबका मन हल्का किया ,सभी को अपने पुराने जमाने की यादें ताजा करवाई।
सोशल मीडिया - फेसबुक पेज,youtube channel, twitter इंस्टाग्राम पर हमेशा एक्टिव रहती हूं। काफी फॉलोवर्स हैं। लोगों के द्वारा बुन्देली गीत भारत के साथ साथ 10 देशों में भी पसन्द किये जा रहे हैं।

अन्य क्षेत्र में रूचि

- 1.भारत की अलग अलग जगह का  परिधान पहन कर भारतीय एकता का उदाहरण बनना। 
. विभिन्न क्षेत्रों की कला सीखना  एवं बनाना
(वार्ली आर्ट,मधुबनी आर्ट,सांझी आर्ट,बुन्देली आर्ट।)
वृक्षारोपण 

सम्मान 
पुरस्कार/सम्मान बुन्देली गीत प्रतियोगिता में दूसरा स्थान 

लोगों के द्वारा दी गई उपाधि  बुंदेलखंड का हीरा
बुन्देली बिटिया।
इसके अलाबा भी कई सामजिक मंचो धार्मिक आयोजनों में सम्मानित किया जा चुका है


रिपोर्ट सोम मिश्रा
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