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ज्ञान और कर्म मनुष्य के लिए कल्याण कारी*

मऊरानीपुर(झांसी)‌श्री शान्ति निकेतन धनुषधारी आश्रम में श्रीमद्भागवत की कथा कहते हुए महाराज जी ने आज ऋषभ देव तथा देवहूति के यहां अवतरित हुए भगवदवतार सांख्यशास्त्र के प्रणेता  कपिल मुनि के उस उपदेश का व्याख्यान  किया  जिसमें उन्होने अपनी माता की जिज्ञासा का समाधान करने वाली कथा कही और बताया कि जब माता ने यह जान लिया कि उनंके यहां अवतरित यह बालक साक्षात ईशावतार है तो माता ने कि बेटा तुम मुझे ज्ञान का उपदेश करो।इसके उत्तर में कपिल मुनि ने कहा माता !ज्ञान और कर्म भी मनुष्य  के परम कल्याण के साधक हैं  किन्तु ज्ञान पर चलना उतना ही कठिन है जितना कठिन तलवार की धार पर चलना है।इसी तरह कर्म का यथा संभव निर्णय करना भी कठिन है। भक्ति बहुत सहज है जो भगवद् भजन तथा जीव मात्र की सेवा से प्राप्त है।यह उतनी ही करुणा स्वरूपिणि है जितनी करुणामयी माता होती है। यही ज्ञान विरक्ति और तप की साधक भी है।
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