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नगर पंचायत अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उदासीनता के चलते .......….......................

गरौठा झांसी।। पूस की ठण्ड दिमाग में आते ही लोग ठिठुर जाते हैं, सार्वजनिक जगहों पर अलाव की व्यवस्था कराई जाए  नगर पंचायत की ओर से रैन बसेरा बनाया गया था, ताकि दूर-दराज से आने वाले यात्री व राहगीर ठण्ड से बचने के लिए रेन बसेरा में जाकर आराम से रात बिता सकें। कस्बा स्थित बजरंग धर्मशाला में नगर पंचायत द्वारा रैन बसेरा बनाया जाता रहा लेकिन इस बार उसी रेन बसेरा में दिन भर ताला लटकता रहता है। यदि कोई राहगीर रात गुजारने के लिए रैन बसेरा की तलाश कर रहा है तो लौटने के लिए मजबूर हो जायेगा इसका कारण है कि गेट पर ताला लगा होना। मुख्य गेट पर ताला लटके देख जिम्मेदारों को कोसते हुए वापस लौट जाना पड़ता है। इस तरह नगर पंचायत गरौठा के जिम्मेदार  जो बैठे हैं, उनको उच्चाधिकारियों का कोई भय नहीं रहता है। दरअसल इसका मुख्य कारण है ऊपर के अधिकारियों द्वारा इन लापरवाह लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही न करना है नगर का यह इकलौता रैन बसेरा है जो महज खानापूर्ति किया गया है। व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। जिम्मेदार अपने घरों में गर्म हीटर का आनंद ले रहे है। यहाँ पर राहगीरों के रहने का कोई उचित इंतजाम नहीं है। ठण्डी हवाओं ने लोगों की मुश्किलों को बढ़ा दिया कड़ाके की ठण्ड में लोग ठिठुर रहे हैं जिससे सबसे अधिक परेशानी राहगीरों को होती है। राहगीर यात्रा के दौरान ठण्ड में परेशान हो रहे हैं उनको ठण्ड से बचाव के लिए अलाव की भी कोई व्यवस्था नगर पंचायत द्वारा नहीं की जा रही है। नगर पंचायत की उदासीनता व गैर जिम्मेदारना रवैया के चलते राहगीरों को ठण्ड में रात गुजरना पड़ रहा है। अन्य नगरीय इलाकों में तो यह भी व्यवस्था नहीं है। ठण्ड से बचाव की जिम्मेदारी निभाने वाले अपने कर्तव्य से विमुख होकर बैठे हुए हैं। तस्वीरों से साफ लग रहा है कि देख-रेख के लिए लगा कर्मचारी नदारत है और रैन बसेरा के मुख्य गेट पर ताला लटक रहा है। राहगीरों द्वारा कस्बा के लोगों से पूछे जाने पर बताया कि रैन बसेरा तो बना है। राहगीरों के लिए उचित प्रबंध है, देख-रेख के लिए कर्मचारी भी नियुक्त है फिर भी यह बात जिम्मेदार अधिकारी की हकीकत से कोसों दूर नजर आती है।
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