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अतीत इतिहास दमेले धनुष धारी मंदिर का*

 मऊरानीपुर(झांसी) गजेटियर के अनुसार नदी पार कटरा स्थित जन जन के आराध्य देव बड़े धनुषधारी जी महाराज( दमेले) का विमान मेला जल बिहार में द्वादश के दिन निकलता है।इस मंदिर के बारे में बेहद रोमांचक गाथाएं जुड़ी है। वेश कीमती जेवरों बहुमूल्य रत्नों से सुसज्जित देव प्रतिमाओ एवं बनारस से निर्मित गंगा जमनी विमान की छ् टा अद्भुत निराली देखते ही बनती है।परिजनों के अनुसार दो सो बर्ष से ज्यादा समय से विमान निकाला जा रहा है।कभी परम्परा नहीं टूटी। अंग्रेजी हुकूमत में खद्दर (खादी) के कपड़े पहनने पर सख्त मनाही थी ऐसे में स्व. सेठ लक्ष्मण दास दमेले ने एक बार जिद्द पर भगवान धनुषधारी जी का श्रंगार व वस्त्र खद्दर(खादी) बनारस के प्रसिद्ध कारीगर से बनवाकर पहनाए व विमान निकाला।इसकी भनक लगने पर फिरंगियों ने विमान भ्रमण पर रोक लगा दी।देखते ही देखते यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई नगर के गड़मान्य जनो के अलावा नगर एवं क्षेत्र के  श्रद्धालु भक्तजन दमेले जी के साथ लामबंद हो गए।एक तरफ फिरंगियों का जत्था तो दूसरी तरफ आस्था श्रद्धा की भीड़ यह देख अंग्रेज़ पीछे हट गए व विमान पूरी आंन बान शान के साथ निकाला गया और विमान के पीछे लिखा गया""खद्दर धारी धनुषधारी "" यह बात अपने आप में इतिहास बन गई।मंदिर प्रबन्धक गोपाल दास दमेले बताते है कि बचपन में उन्होंने देखा कि विमान व मूर्ति जेवर आदि वेश कीमती होने व तत्कालीन समय मे नदी आर पार पानी से भरी होने के चलते सुरछा के मद्दे नजर एक दीवान छह सिपाही जो खाकी हाफ पेंट व कलगीदार टोपी पहनते थे उनकी ""एक सात की सशस्त्र  गारद एक हफ़्ते पहले मंदिर में डेरा डाल लेती थी जब तक विमान बिहार कराकर विग्रह में वापस नहीं आ जाते पुलिस बल साथ मौजूद रहता था।कालांतर में गारद की जगह दो सिपाही तैनात किए गए बाद में एक सिपाही कर दिया गया लेकिन अब एक सिपाही की व्यवस्था भी हटा ली गई जिससे विमान मूर्तियों जेवरों की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लग गया। यहां यह बताना लाजमी है कि एक बार बेशकीमती जेवरों की दो तिजोरी चोरी हुई थी जो चोरो द्वारा खुल न पाने पर नदी की रेत में गाड़ दी गई थी वह शकुशल बरामद भी हुई थी पुरा नगर पुलिस छावनी बन गया था। यहीं नहीं इसके बाद कई बार मंदिर में चोरी करने के प्रयास हुए लेकिन धनुषधारी की कृपा कहे या फिर उनकी अदृश्य सुरछा जिसके चलते चोर गिरोह हर बार नाकाम साबित हुआ।वर्तमान में विमान की सुरछा खुद दमेले परिवार को अपने सहयोगियों के साथ करनी पड रही है।
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