मऊ रानीपुर (झांसी) समाज में बहुत अधिक प्रचलित दूषित अन्न खाने से बुद्धि विकृत्त होती है - रामदास ब्रमहचारी* का समर्थन करने वाली एक
घटना का उल्लेख करते हुए आज की भागवत कथा में श्री शान्ति निकेतन धनुषधारी आश्रम परवारीपुरा में महाराज जी ने कहा कि महाभारत
युद्ध में जब भीष्म पितामह शरशैया पर लेट गए
तब पाण्डव द्रोपदी के साथ उनके दर्शन करने गए।पितामह उनको देखकर उन्हें नीति का कुछ उपदेश करने लगे तो द्रोपदी मुस्करा पड़ी।इस पर जब
द्रोपदी से इसका कारण पूछा गया तो उसने कहा
कि जब दुर्योधन की सभा में मेरे चीर का हरण हो रहा था तब पितामह की यह नीति कहा गई थी
और तब वे क्यों चुप रहे।इस पर पितामह ने कहा
कि उस समय मैंने दुर्योधन का दूषित अन्न खाया था इसलिए मेरी बुद्धि विकृत हो गई थी।अब बाणों के आघात से वह खून बह गया इसलिए मैं नीतिका उपदेश कर सकता हूॅ।इसलिए हम सबको अन्न की शुद्धता पर सदा सावधान रहना चाहिए ।इस कार्यक्रम में डा गदाधर त्रिपाठी,
हरि ओम श्रीधर, ओम प्रकाश
शर्मा, रमेश चन्द्र दीक्षित, राज कुमार ,विनय कुमार,अभिषेक राय,द्वारिका प्रसाद,
स्वामी राय,, मनीषा
दीक्षित, विमला दीक्षित, सुशीला त्रिपाठी,
ममता त्रिपाठी, कैलाश दीक्षित , डा कृष्णा पाण्डेय ,जनार्दन मिश्र , फोटोग्राफर सुल्लन
सुशील पुरवार ,
सुरेन्द्र रिछारिया, दिनेश रिछारिया ,विशाल
तिवारी,रवीन्द्र दीक्षित, शरदेन्दु सुल्लेरे,, रमेश सोनी रोहित दुबे
दिनेश राजपूत, भइया जी सूरौठिया, आशु भारद्वाज ,बृजेंद्र त्रिपाठी , राकेश राय ,
कालका प्रसाद भरद्वाज
प्रभाकर पाण्डेय, सन्तोष कुमार मिश्र
काजल द्विवेदी, किशोरी शरण अरजरिया, हरी मोहन ताम्रकार,
रामसनेही खरे रामनारायण चतुर्वेदी,जय प्रकाश खरे विमला खरे,आयुष खरे,सुभाष अवस्थी,मुन्नी लाल कटारे शैलेन्द्र खरे,आर, के,त्रिपाठी,ऋषि दुबे,सरोज दुबे, हरीश शंकर पटैरिया ,