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मनुष्य भगवत कृपा से भव पार होता है*

 मऊरानीपुर(झांसी )संसार का विस्तार इतना असीम है कि कोई भी न तो इसकी सीमा जान सकता है और ही कोई इसमें घटित होने वाली घटनाओं का आदि और अन्त जान पाता है।इसका उदाहरण शान्ति निकेतन धनुषधारी आश्रम मे श्री मद्भागवत  कथा कहते हुए श्री ब्रह्मचारी जी ने बताया कि एक दिन दुर्योधन ने अश्वत्थामा को बुलाकर कहा कि मित्र
यदि पाचों पाण्डव  मर जाएं तो हम यह युद्ध जीत जाऐंगे।इस पर अश्वत्थामा रात्रि मे सोते हुए पाण्डवों को मारने गया किन्तु विधि विधान की
विचित्रता से द्रौपदी के पाॅच पुत्रों का शीश काटकर ले आया। और इस तरह  जिसे दुर्योधन भी नहीं
चाहता था,वह घटित हुआ। अतएव इस प्रकार विडम्बना को जानना और उससे उबरना ईश्वर की
कृपा पर निर्भर है।आज की कथा  कार्यक्रम में   प्रोफेसर संपादक डा गदाधर त्रिपाठी, 
हरि ओम श्रीधर, ओम प्रकाश 
शर्मा,   रमेश चन्द्र दीक्षित,  राज कुमार ,विनय कुमार,अभिषेक राय,द्वारिका प्रसाद,
स्वामी  राय,,  मनीषा
दीक्षित, विमला दीक्षित, सुशीला त्रिपाठी,रामदेवी
कुशवाहा, ममता त्रिपाठी, कैलाश दीक्षित , डा कृष्णा पाण्डेय ,जनार्दन मिश्र ,  फोटोग्राफर सुल्लन
सुशील पुरवार ,दृगपालसिंह सिंह, 
सुरेन्द्र रिछारिया, घनश्यामदास ,दिनेश ,विशा
तिवारी,रवीन्द्र दीक्षित, शरदेन्दु सुल्लेरे,, रमेश सोनी रोहित दुबे
दिनेश राजपूत, भइया जी सूरौठिया, आशु भारद्वाज ,बृजेंद्र त्रिपाठी,राकेश राय ,
कालका प्रसाद भरद्वाजप्रभाकर  पाण्डेय सन्तोष कुमार मिश्र
: काजल द्विवेदी
रामसनेही खरे रामनारायण चतुर्वेदी
 जय प्रकाश खरे विमला खरे
 आयुष खरे
सुभाष अवस्थीमुन्नी लाल कटारे शैलेन्द्र खरे आदि मौजूद रहे।
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