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गरौठा विधानसभा : इन चेहरों को हल्के में न लें विधायक जी

झांसी। झांसी की गरौठा विधानसभा उत्तर प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल विधानसभा सीट फूलपुर से किसी भी तरह से कम नहीं है, और न ही इस सीट से विधानसभा चुनाव में अपनी ताल ठोकने की उम्मीदवारी जता रहे उम्मीदवार। खास बात तो यह है कि इस सीट पर सत्ता दल से विधायक होने के बाद भी दर्जन भर से ज्यादा उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांग रहे हैं, या तैयारी कर रहे हैं।

इसके इतर इस सीट से प्रदेश स्तर के किसी बड़े नेता के बीच चुनाव लड़ने की बातें भी समय-समय पर चलती रहती हैं। जिन्हें स्थानीय अखबारों के फ्रंट पेज पर जगह दी जाती है। जाहिर है यह खबरें भी अहम हैं, लेकिन इन सबके बीच जो उम्मीदवार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की उम्मीदवारी जता रहे हैं। वह भी अपनी दावेदारी में सिटिंग विधायक से कम नहीं है। सिटिंग विधायक को इन दावेदारों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है।

किसमें कितना है दम?

1. राम जी परिहार

ऊपर तस्वीर में छपे चेहरों के बैकग्राउंड और दम की बात की जाए तो राम जी परिहार क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखते हैं, और गरौठा क्षेत्र के गांव डुमरई के रहने वाले हैं। काफी लंबे समय से ठेकेदारी कर रहे हैं। इसके बाद उन्हें कुछ समय तक समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और इसी सीट से दो बार विधायक रह चुके दीप नारायण सिंह यादव के साथ भी देखा जाता रहा है। पहली बार लोगों की नजर में यह तब आए थे जब 1 साल पहले इन्होंने गुरसराय की खैर इंटर कॉलेज बालिका विभाग में एक भागवत कथा का आयोजन करवाया था। इस दौरान कई क्षेत्रीय युवाओं का इनको साथ मिला। यहीं से इन्हीं आगामी विधानसभा चुनाव में भूमिका को लोगों ने भांप लिया था।

2. गोलू माते बरल

ऊपर के पोस्टर में बीच वाली तस्वीर या यूं कहें कि दूसरे नंबर की तस्वीर गोलू माते बरल की है। इसी नाम से लोग इन्हें जानते हैं। बिगत पंचायत चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी से जिला पंचायत सदस्य का टिकट मांग रहे थे, लेकिन कहा जाता है कि स्थानीय विधायक के हस्तक्षेप के कारण इन्हें पार्टी से टिकट नहीं मिल पाया था। हालांकि इन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ कर अपना दम पार्टी को दिखाया था, और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन दिया था। यदि माना जाए तो इन्हें ना सिर्फ चुनाव लड़ने का अनुभव हो गया है, बल्कि लोगों से वोट मांगने का भी अभ्यास हैं। कहा जाता है कि पार्टी के एक राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेता के यह ज्यादा ही करीबी हैं। तो ऐसा कहा जा सकता है कि भले ही इन्हें टिकट न मिल पाए, लेकिन यह भी किसी के टिकट को बाईपास करने में हस्तक्षेप कर सकते हैं।

3. यादवेंद्र प्रताप सिंह

तीसरा नाम है यादवेंद्र प्रताप सिंह का। यह भी गरौठा क्षेत्र के गांव डुमरई के रहने वाले हैं। शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े होने की बात कहते हैं। साथ ही खुद की दो कंपनियां भी हैं। अग्निवंशी क्षत्रिय जाति से ताल्लुक रखने वाले यादवेंद्र प्रताप सिंह ने हाल ही में गणेश चतुर्थी के दिन 225 गरौठा विधान सभा क्षेत्र के लोगों के हर सुख दुख में साथ खड़े रहने का दावा सोशल मीडिया के जरिए किया था। और चुनावी मैदान में उतरने का श्री गणेश भी किया था। इनके श्रीगणेश होते ही क्षत्रिय जाति से ही ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवार राम जी परिहार के समर्थन में चलने वाले कुछ लोग अब यादवेंद्र प्रताप सिंह के समर्थन में आ खड़े हुए हैं। इन सबसे खास बात यह है कि यादवेंद्र प्रताप सिंह के आगे "कुंवर" भी जुड़ा हुआ है। हालांकि यादवेंद्र आजकल भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय बड़े बुजुर्गों से आर्शीवाद लेकर अपनी धरातलीय पकड़ मजबूत करने में जुटे हुए हैं।

इन तीन उम्मीदवारों के अलावा गरौठा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए और भी कई उम्मीदवार हैं, लेकिन यह तीन चेहरे फिलहाल चर्चा में बने रहते हैं, और कहीं ना कहीं अपने टिकट को लेकर लगातार प्रयासरत हैं। ऐसे में यह कहना भी गलत नहीं होगा कि स्थानीय भाजपा विधायक के लिए यह तीन चेहरे फिलहाल हल्के में लेने के लिए नहीं है। इन्हें हल्के में लेना उनके लिए भारी साबित हो सकता है।
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