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नगर पालिका मऊरानीपुर चुनाव - सियासत की शतरंज पर सजने लगी है गोटियां*

मऊरानीपुर(झांसी) सियासत की शतरंज पर गोटियां सजने लगी हैं पालिका चेयरमैन पद की दावेदारी में एक बार पार्षद व चार बार चेयरमैन रहे निवर्तमान चेयरमैन हरिश्चंद्र आर्य ने अपनी दावेदारी फिर करते हुए टिकिट की जगह जनता के बीच पहुंच गए है।वही सारे विपछी लामबंद होकर बदलाब की बयार लाने के लिए भाजपा से पूर्व ब्लॉक प्रमुख मनोज अहिरवार ने भी ताल ठोक दी है।लेकिन जनता के बीच न जाकर फिलहाल सोशल मीडिया में सिमटे हुए है।तीसरे विकल्प के तौर पर मऊरानीपुर की राजनीति के अभिन्न अंग राजेंद्र राहुल इशारे ही इशारे में जनता के बीच है।इस बार सीट अनुसूचित जाति के लिए तय होने के बाद से ही आम जनमत में हरिश्चन्द्र आर्य घर घर जाकर दस्तक देते हुए हर शख्स से खुद रूबरू हो रहे है।इस बार जो समीकरण बनते नजर आ रहे है।उसमे एक बात तय मानी जा रही है कि यदि हरिश्चंद आर्य जीतते है तो वोटों का बहुमत कम हो सकता है।मऊ विधान सभा से तीन बार भाजपा विधायक रह चुके प्रागीलाल अहिरवार के पुत्र मनोज अहिरवार को यदि भाजपा से टिकट मिलता है तो मैच रोमांचक होने की पूरी संभावना है। विपछ के सारे समीकरण यदि अपनी जगह सही और सटीक साबित होते है तो पिछले निकाय चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे आयुष श्रीवास भी एक वैकल्पिक चेहरा हो सकते है यहां यह बता देना लाजमी होगा कि आयुष श्रीवास जनता के चिर परिचित चेहरे है।संभावनाओं और सियासी संकेत बताते है कि इस बार निवर्तमान चेयरमैन हरिश्चंद आर्य को कड़ी मेहनत करनी होगी इस बार उनके लिए यह चुनाव ठीक वैसा होगा जैसे आग का दरिया है और तेर कर जाना है।वही मनोज अहिरवार को नगर की मतदाता जनता के बीच अपनी खुद की पहचान बनाने के लिए खासी कवायद करनी होगी कारण साफ भी है कि उनकी राजनीति ग्रामीण छेत्र में है लेकिन नगर छेत्र में वह अभी नए चेहरे होंगे यदि भाजपा से टिकट भी मिलता है।तो सिर्फ टिकिट के सहारे नैया पार होने वाली नही है यह कड़वा सच है।बताते चले कि पिछले निकाय चुनाव में अशोक गिरी भाजपा से प्रत्याशी बनाए गए थे तत्कालीन विधायक बिहारी लाल ने मऊ में डेरा डाला था भाजपाइयों ने रात दिन एक कर दिया था फिर भी वह करीब पांच हजार वोट खींच पाए थे।हरिश्चंद आर्य ने उन्हें करीब साढ़े पांच हजार वोटों से पराजित किया था। उस समय डा विष्णु राय,राकेश सेठिया,आयुष श्रीवास सहित अन्य प्रत्याशी मैदान में थे।लेकिन जनता ने सबको दरकिनार कर हरिश्चंद आर्य को चक्रवर्ती चेयरमैन बना दिया था।लेकिन इस बार राकेश सेठिया विष्णु राय फिलहाल मैदान में नही है और यही से हरिश्चंद आर्य की मुश्किलें बड़ाने वाली बात के संकेत जनता से मिल रहे है यही वजह है कि इस बार का चुनाव हरिश्चंद्र आर्य के लिए अग्नि परीक्षा की तरह साबित होगा।इनके लिए राहत की बात सिर्फ यह है कि जिला पंचायत सदस्य हेमंत सेठ जो छोटे भाई है वह स्थानीय राजनीति के युवा चाडक्य है साथ ही उनकी भाभी डाक्टर रश्मि आर्य विधायक है।चुनाव के एन वक्त पर कब कहां क्या गुल खिल जाए यह आने वाला समय तय करेगा।क्योंकि राजनीति में सब संभव है।
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