मऊरानीपुर(झांसी)भागवत की कथा जीवन और मरण दोनों को सम्हालती है। मनुष्य का जीवन नितान्त रूप से अनित्य है यह हम सभी भली प्रकार से जानते हैं इसीलिए यह कहा जाता है कि चाहे जीवन हो या मरण दोनों ही का
नियन्त्रण भगवान् के हाथ में है।राजा परीक्षत को जब श्राप मिला था तो वे यह
विचार करने लगेथे कि जीवन तो ईश्वर की कृपा से ठीक ही बीता अब मेरा मरण
भी ठीक से हो इसीलिए उन्होंने शुकदेव जी से पुराण कथा सुनी और बाद में उनका कल्याण हुआ। कथा में डा गदाधर त्रिपाठी, हरि ओम श्रीधर, ओम प्रकाश
शर्मा, रमेश चन्द्र दीक्षित, राज कुमार ,विनय कुमार,अभिषेक राय,
स्वामी राय,, मनीषा दीक्षित, विमला दीक्षित, सुशीला त्रिपाठी,
ममता त्रिपाठी, कैलाश दीक्षित , डा कृष्णा पाण्डेय ,जनार्दन मिश्र , फोटोग्राफर सुल्लन
सुशील पुरवार ,
सुरेन्द्र रिछारिया, दिनेश पटैरिया ,विशाल
तिवारी,रवीन्द्र दीक्षित, शरदेन्दु सुल्लेरे,, रमेश सोनी रोहित दुबे
दिनेश राजपूत, भइया जी सूरौठिया, आशु भारद्वाज ,, राकेश राय ,
कालका प्रसाद भरद्वाज
प्रभाकर पाण्डेय, सन्तोष कुमार मिश्र
काजल द्विवेदी, किशोरी शरण अरजरिया, हरी मोहन ताम्रकार, सत्य नारायण अग्रवाल
रामनारायण चतुरर्वेदी
जय प्रकाश खरे विमला खरे
आयुष खरे सुभाष अवस्थी मुन्नी लाल कटारे शैलेन्द्र खरे,आर, के,त्रिपाठी, ,मुरारी लाल,राम गोपाल मोर,
रमेश चन्द्र नामदेव तथा
सिद्धि दुबे,ऋद्धि दुबे,पूजा त्रिपाठी , अरविन्द भौंड़ेले, अनिल पाठक, प्रदीप पाठक,धर्मेन्द्र रिछारिया, कृष्ण गोपाल बबेले ,नरेन्द्र दमेले,
शिव शंकर मिश्र,उर्मिला तिवारी,पप्पू तिवारी,
कुलदीप तिवारी,अनीता तिवारी,
नमिता तिवारी,बृजेंद्र त्रिपाठी,शरद
अनन्त राम सर्राफ,
बैजनाथ तिवारी तथा हरिश्चन्द्र आर्य एवं आशीष
कौशिक सम्मिलित हुए।