चौराहों पर आवारा पशुओं की धमा-चौकड़ी से बनी रहती है दुर्घटना की स्थिति
*गरौठा की जनता का कहना है तहसील प्रशासन सोया कुम्भकरण की नींद*
झाँसी ! गरौठा में बड़ी संख्या में गौपालक अपने पशुओं को दूध दुहने के बाद सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। दिन भर ये गाय कूड़े-कचरे के ढेरों से अपना पेट भरती देखी जा सकती हैं। नगर के मौहल्लों व बाजारों में आवारा घूमती गायों को पशु प्रेमी भी खाने-पीने का सामान देते रहते हैं। साथ ही कुछ गौ प्रेमी इन्हें चारा भी मंगाकर खिलाते हैं। जिसके चलते पशुपालकों को दिन भर इनकी कोई चिंता नहीं रहती है। शाम होने के बाद आवारा घूमने वाली गाय पशुपालक के घर पहुंच जाती है और वह दूसरे समय का दूध भी इनसे दुह लेता है हालांकि आवारा धूमने वाली सभी गाय दूध नहीं देती हैं।
नगर की मुख्य सड़कों, भीड़भाड़ वाली मुख्य जगहों सब्जी बाज़ार अस्पताल एवं कोर्ट कैम्पस में सांढ़, पालतू गाय खुलेआम घूमते रहने से पैदल एवं दो पहिया वाहन सवारों के जान जोखिम में रहती है वहीं दूसरी ओर चौराहों पर भी बड़ी संख्या में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है सुबह होते ही सभी जानवर खेतों में चले जाते हैं जिससे किसानों की नींद उड़ी हुई है। एक तरफ शासन द्वारा कई जगह गौशालाएं बनवाई गई हैं लेकिन तहसील मुख्यालय गरौठा में आदर्श नगर पंचायत होते हुए भी आवारा पशुओं के लिए कोई जगह नहीं है और न ही कोई देखभाल करने वाला है मगर कागजों में आवारा पशुओं के लिए चारे पानी एवं गौ सेवकों की पूर्ण रूप से व्यवस्था की गई है हालांकि धरातल पर हकीकत कुछ और ही है,आखिर क्या वजह है कि शासन प्रशासन कुभकरण की नींद सोया हुआ है।