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क्या RLPS स्कूल षड्यंत्र करके SCST में फसाने वाला है साक्षी राय को?

झांसी। बीते शुक्रवार को झांसी के रानी लक्ष्मीबाई पब्लिक स्कूल यानि कि आरएलपीएस में खरी बात न्यूज़ की पत्रकार साक्षी राय के साथ घटित हुई घटना से शायद ही आप बेख़बर हों, इस घटना के बाद पुलिस ने साक्षी राय के पिता एडवोकेट विष्णु राय की तहरीर पर शालिनी भार्गव, प्रधानाचार्य शुभेंदु सरकार, खुशप्रीत खुराना,  अन्नू मिश्रा और अंकित यादव समेत छह से सात अज्ञात पुरुषों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 342, 323, 504, 506 के तहत मामला पंजीकृत कर लिया था। 
पुलिस द्वारा स्कूल प्रबंधन और स्टॉप पर लिखें मुकदमे से तिलमिलाई प्रबंधन टीम अब साक्षी राय के खिलाफ षड्यंत्र रचने में जुट गई है, हम आपको बताएंगे कि साक्षी राय के खिलाफ अब क्या कुछ चक्रव्यू रचाया जा रहा है, लेकिन इसके पहले आप रिपोर्ट देख लीजिए।
आपको बता दें कि 25 तारीख की दोपहर करीब 12:00 बजे आरएलपीएस स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग चल रही थी। इसी स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा पांचवी के छात्र अविक राय की तरफ से बतौर अभिभावक साक्षी राय भी वहां पर पहुंची थी। क्योंकि मीटिंग के दौरान यहां पढ़ने वाले बच्चों की रिपोर्ट कार्ड भी दिए जा रहे थे जिसका कुछ अभिभावक विरोध कर रहे थे क्योंकि रिपोर्ट कार्ड एक सादा सिंपल पेपर पर छाप कर दिया जा रहा था जिसका साक्षी राय वीडियो बनाने लगी। आरोप है कि इसी से तिलमिलाए स्कूल स्टाफ ने न सिर्फ साक्षी राय के साथ अभद्रता  की बल्कि एक पुरुष स्टाफ ने साक्षी के साथ धक्का-मुक्की भी कर दी। और साक्षी राय को बंधक बनाकर जबरन वीडियो डिलीट करने का दबाव बनाया।
साक्षी के द्वारा एसएसपी को फोन करने के बाद मौके पर पहुंची सदर थाना पुलिस के एक दरोगा का भी स्कूल प्रशासन द्वारा फोन छीन लिया गया क्योंकि वह भी एविडेन्स कलेक्ट करने के लिए वीडियो शूट कर रहे थे।
मतलब गजब है, स्कूल स्टाफ अभिभावकों की ना सुने, तो ठीक ! स्कूल स्टाफ महिला पत्रकार के साथ अभद्रता करे तो ठीक ! स्कूल स्टाफ महिला पत्रकार को बंधक बनाए तो भी ठीक, और दरोगा का फोन जप्त कर ले तो भी ठीक है। गलत है तो बस स्कूल के अंदर वीडियो को शूट करना। गलत नहीं अपराध है यहां वीडियो बनाना । ये स्कूल , स्कूल नहीं एएसआई की कोई इमारत नजर आती है। जिसकी वीडियो शूट करने पर सख्त पाबंदी है, फिर चाहे स्कूल की दीवारों के अंदर कुछ भी होता रहे। स्कूल मैनेजमेंट और स्टाफ मिलकर कुछ भी करें, लेकिन अंदर की वीडियो बाहर नहीं आनी चाहिए। आखिर ऐसा किस चीज का डर है कि वीडियो बाहर आ गई तो बवाल हो जाएगा, बखेड़ा हो जाएगा। आखिर ऐसा क्या हो रहा है? जिससे स्कूल के अंदर वीडियो बनाने पर सख्त पाबंदी है। यह ऐसे सवाल हैं, जो कहीं ना कहीं आरएलपीएस स्कूल को संदेह के घेरे में खड़ा करते हैं।
यह बातें हम नहीं कर रहे हैं बल्कि साक्षी राय के एडवोकेट पिता की तहरीर के बाद सदर थाना में दर्ज हुए दर्जन भर लोगों पर मुकदमों से आगबबूला हुए स्कूल प्रशासन द्वारा स्कूल स्टाफ के एक व्यक्ति द्वारा सदर थाने में दिलवाई गई तहरीर मैं स्कूल के स्टाफ ने ही इस बात को खुलकर लिखा है। पुलिस को दी तहरीर में साफ लिखा है कि साक्षी राय ने वीडियोग्राफी करके अपराध किया है। इसी तहरीर के आधार पर सदर पुलिस ने साक्षी राय समेत चार और लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। अब यह मामला राजनीतिक दबाव में लिखा गया है। इसका अंदाजा भी आप इस बात से लगा सकते हैं कि सदर थाना प्रभारी को इस घटना के 24 घंटे के अंदर निलंबित कर दिया गया है। हालांकि निलंबन का कारण किसी और घटना से जोड़कर बताया गया है, लेकिन रोटी तो सभी खा रहे हैं, साहब! और सब समझते हैं कि थानेदार साहब का निलंबन क्यों हुआ? थानेदार साहब तो ठीक है, घटना की जांच के लिए पुलिस की एफ आई आर कॉपी पर जिस जांच अधिकारी का नाम बाकायदा प्रिंट गया है। कहा जा रहा है उनको भी जांच से हटा दिया गया गया है। इसे राजनीति नहीं तो और क्या कहें?
इस मामले पर अब अंदर ही अंदर राजनीति शुरू होने लगी है।
यहां तक कि अब साक्षी रहा है पर दबाव बनाने के लिए स्कूल के सफाई कर्मियों से भी शिकायतें करवाई जा रही हैं ताकि एससी एसटी एक्ट के तहत कार्यवाही हो और एक महिला पत्रकार इन्हीं सब चक्कर में फस कर सारी चीजें भूल जाए या फिर राजीनामा को विवश हो जाए कुछ लोगों से यही भी करवाया जा रहा है कि साक्षी राय के द्वारा स्कूल प्रशासन से ₹20,000 की मांग की गई थी। खैर पब्लिक है जो सब जानती है। सारी सच्चाई सबके सामने हैं। लेकिन यदि पत्रकारों के साथ राजनीतिक प्रपंच और षड्यंत्र सिद्ध किए गए तो फिर पत्रकारों की कलम से और जुबान से आग बरसना जाहिर है। झांसी के बड़े राजनेताओं को दिल बड़ा करके स्कूल स्टाफ के दोषियों पर कार्यवाही करवानी चाहिए।
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