*भगवान नाम स्मरण की महत्ता*
============
श्री शान्ति निकेतन धनुषधारी आश्रम परवारीपुरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के क्रम में बुन्देलखण्ड पीठाधीश्वर महाराज जी ने कहा कि मनुष्य के परम कल्याण के लिए शम, दम ,नियमादि अनेक सन्मार्गों का कथन किया
गया है।जो सामान्यतः कठिनमार्ग होते हैं इसीलिए
ऋषियों ने भगवन्नाम स्मरण का एक ऐसा सरल उपाय कहा; जिसमें चाहे जितने नीचे कर्म करने वाला व्यक्ति हो; निष्ठा और प्रेम से ,अथवा अज्ञान से भी प्रभु नाम लेने पर भव सागर पार कर जाता है।
इसका उदाहरण देते हुऐ महाराज ने एक ऐसे भ्रष्ट और दुराचारी अजामिल की कथा सुनाई जिसने अपने जीवन में कोई सुकृत का काम किया ही नहीं था। किन्तु किसी महात्मा के कहने पर उसकी पत्नी ने अपने पुत्र का नाम नारायण रख दिया था।अजामिल अपने इस पुत्र को इतना अधिक चाहता था कि दिन रात उसी को लिए रहता था और नारायण -नारायण की रट लगाए रहता था।
भगवान् के पार्षदों ने नारायण का नाम लेने के कारण उसे नारायण भक्त मानकर अन्त में स्वर्ग लोक दिया ।तत्पश्चात् धर्मोद्धारक भगवान् श्री कृष्ण के अवतार की रमणीय कथा कहकर आज के उत्सव की पूर्णता हुई।।इस कार्यक्रम में डा गदाधर त्रिपाठी,
हरि ओम श्रीधर, ओम प्रकाश
शर्मा, रमेश चन्द्र दीक्षित, राज कुमार ,विनय कुमार,अभिषेक राय,द्वारिका प्रसाद,
स्वामी राय,, मनीषा दीक्षित, विमला दीक्षित, सुशीला त्रिपाठी,रामदेवी कुशवाहा
ममता त्रिपाठी, कैलाश दीक्षित , डा कृष्णा पाण्डेय ,जनार्दन मिश्र , फोटोग्राफर सुल्लन
सुशील पुरवार ,सुरेन्द्र रिछारिया, दिनेश पटैरिया ,विशाल तिवारी,रवीन्द्र दीक्षित, शरदेन्दु सुल्लेरे,, रमेश सोनी रोहित दुबे
दिनेश राजपूत, भइया जी सूरौठिया, आशु भारद्वाज ,, राकेश राय ,कालका प्रसाद भरद्वाज
प्रभाकर पाण्डेय, सन्तोष कुमार मिश्र
काजल द्विवेदी, किशोरी शरण अरजरिया, हरी मोहन ताम्रकार, सत्य नारायण अग्रवाल
रामसनेही खरे रामनारायण चतुरर्वेदी,जय प्रकाश खरे विमला खरे
आयुष खरे सुभाष अवस्थी मुन्नी लाल कटारे शैलेन्द्र खरे,आर, के,त्रिपाठी ऋषि दुबे,सरोज दुबे, हरीश शंकर पटैरिया ,मुरारी लाल,
सन्तोष समाधिया जगदीश नारायण दीक्षित,राम गोपाल मोर राम लखन दुबे,रमेश चन्द्र नामदेव तथा मध्य प्रदेश के सत्यनारायण अग्रवाल , श्रीमती लता,आरती,